आज संत रामपाल जी महाराज की पुस्तकों का प्रचार करते समय जिला मैनपुरी सेवादार किशन दास को सैमसंग कंपनी का एक लावारिस मोबाइल फोन सड़क पर पड़ा हुआ मिला। इस मोबाइल फोन की कीमत लगभग ₹14000 है। रामपाल जी महाराज के भक्तों ने खोजबीन कर मोबाइल फोन के मालिक को ढूंढ लिया और जिसका यह फोन था उसको वापस कर दिया। मोबाइल फोन प्राप्त करके मोटा क्षेत्र का यह भाई बहुत खुश भी हुआ और हतप्रभ भी। हतप्रभ इसलिए कि आज के युग में भी ऐसे लोग मोजूद हैं जो इतनी महंगी वस्तु भी वापस कर देते हैं
सतगुरु ऐसा क्या ज्ञान दे रहे हैं यह जानने और समझने के उद्देश्य से उसने सतगुरु रामपाल जी महाराज की पुस्तकें “ज्ञान गंगा” तथा “भक्ति से भगवान तक ” भी खरीदीं। उस भाई ने मोबाइल फोन वापस करने के उपकार में कुछ पैसे भी देने की पेशकश की थी, लेकिन अपने सतगुरु रामपाल जी महाराज से ली हई भक्ति मर्यादा का अक्षरशः पालन करते हुए भक्त किशन दास ने वर्जित धन को लेने से मना कर दिया।
कौन हैं महान संत रामपाल जी महाराज?
पाठकों की जिज्ञासा को पूरी करने के लिए हमने संत रामपाल जी महाराज के विषय और उनके ज्ञान को जानने का प्रयास किया। जैसा कि श्रीमद भगवद गीता अध्याय 4 श्लोक 7 और 8 में कहा गया है कि जब जब धरती पर अधर्म बढ़ता है तब तब परमात्मा धरती पर स्वयं या अपने द्वारा श्रेष्ठ आत्मा को पृथ्वी पर अवतार रूप में प्रकट करते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड के निर्माता सर्वशक्तिमान परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) समय समय पर अमर लोक से क्षर लोक में अवतरित होते हैं और वर्तमान समय में महान संत रामपाल जी महाराज के रूप में दिव्य लीला कर रहे हैं।
क्या है अनुपम ज्ञान सतगुरु रामपाल जी महाराज जी का?
सतगुरु रामपाल जी महाराज ने बताया है कि मन ही ज्योति निरंजन है। मन ही काल-कराल है। इसने जीव को ऐसे नचा रखा है जैसे बाजीगर बंदर (मर्कट) को नचाता है। इस शरीर में पाँच तत्त्व पच्चीस प्रकृति तथा तीन गुण काल के प्रतिनिधि हैं। जीव को धोखे में रखकर परनिंदा, परनारी भोग-विलास, चोरी, रिश्वत, छल-कपट या अनाचार भाव से परधन हड़पना, गुरूद्रोह, मर्यादा तोड़ना, वर्जित वस्तु उपभोग और वर्जित साधना प्रयोग जैसे घोर अपराध – पाप करवाकर मन जीव को दण्ड भोगने का भागीदार बनाता है। इसलिए पहले ही मन को ज्ञान की लगाम से रोकना हितकारी है।
क्या संत रामपाल जी का ज्ञान ग्रन्थों से प्रमाणित है?
परम संत रामपाल जी मानव को सर्व ग्रन्थों से प्रमाणित सत्य आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर जीने की राह बताते हैं। अध्यात्म ज्ञान होने के पश्चात् मानव पूर्ण गुरू रामपाल जी से नाम दीक्षा लेकर उनके बताए अनुसार साधना करके दान-धर्म करते हुए भक्त किशन दास की तरह भक्ति धन को संग्रह करना प्रारंभ कर देता है। सतगुरु रामपाल जी कबीर परमेश्वर जी को उद्घृत करते हुए बताते हैं कि जिनको यह विवेक नहीं कि भक्ति बिना जीव का कहीं भी ठिकाना नहीं है तो वे नर यानि मानव नहीं हैं, वे तो पत्थर हैं। उनकी बुद्धि पर पत्थर गिरे हैं।
कबीर, बिन उपदेश अचम्भ है, क्यों जिवत हैं प्राण।
भक्ति बिना कहाँ ठौर है, ये नर नाहीं पाषाण।।
कबीर, काया तेरी है नहीं, माया कहाँ से होय।
भक्ति कर दिल पाक से, जीवन है दिन दोय।।
परमात्मा कबीर जी कह रहे हैं कि हे भोले मानव! मुझे आश्चर्य है कि बिना गुरू से दीक्षा लिए किस आशा को लेकर जीवित है। न तो शरीर तेरा है, यह भी त्यागकर जाएगा। फिर सम्पत्ति आपकी कैसे है?
काल के चंगुल से छूटने के लिए मनुष्य क्या करे?
वर्तमान में मानव बुद्धिमान है, शिक्षित है। पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब और संत गरीबदास जी की गुरु शिष्य परंपरा के वर्तमान सन्त रामपाल दास द्वारा बताए शास्त्रसम्मत ज्ञान को जानकर और भक्ति करके देखिये, तब आप जानेंगे कि क्या कमाल होता है। भक्त किशन दास की तरह बिना समय गँवाए पूर्ण गुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति कर संसार में सुखी जीवन जिएं तथा मोक्ष रूपी मंजिल को प्राप्त करें। अधिक जानकारी के लिए जीने की राह पवित्र पुस्तक मुफ़्त डाउनलोड करें
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