प्रिय मित्रों, आज हम आपको कबीर साहेब जी के बारे में उनके कलयुग में प्रकट होने की वास्तविक जानकारी की इस रहस्यमयी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं।
दोस्तों आमतौर पर कबीर साहेब जी को हिन्दुस्थान में एक संत, भक्त, दास या एक प्रसिद्ध कवि के रूप में ही देखा जाता है, लेकिन कई अन्य संत और महात्माओं जिनने कबीर जी की प्रसिद्ध रचना साखी-शबद-रमैनी को गहराई से जानने की कोशिश की तो पाया कि कबीर जी केवल एक संत या कवि ही नही हुए हैं बल्कि उनके ज्ञान को देखे तो ब्रह्मा-विष्णु-महेश की भी वास्तविक जानकारी बताई है जो हमारे पवित्र ग्रंथो से काफी मेल खाती हैं।
कबीर साहेब जी स्वयं अनपढ़ थे इसलिए उनकी रचना को उनके भक्त सेठ धर्मदास जी ने लिखा था।
हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि कबीर साहेब जी अनपढ़ होते हुए भी समस्त धर्मो के ग्रंथों का ऐसा सार तथा ज्ञान बता गए जो बड़े-बड़े पंडित, ब्राम्हण तथा वेद के ज्ञाता भी नही समझ पाए।
इस प्रकार के सोचने पर मजबुर करने वाले इन किस्सो ने लोगो मे तथा उनकी रचना को पढ़ने वाले संतो महंतो में एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया कि आखिर कबीर जी क्या थे? वे केवल एक संत या कवि तो नही हो सकते क्योंकि उनके ज्ञान के सामने तथा शास्त्रार्थ में बड़े-बड़े ज्ञानी भी नही टिक पाते थे, जो कि उनकी रचना में पाया गया।
हालांकि ये सब घटनाऐं मनघडंत भी नही मानी जा सकती क्योंकि वेदों, ग्रंथों तथा गीता जी का ज्ञान भी उनके ज्ञान के सामने सूर्य के सामने दीपक के समान लग रहा था।
तो आखिर एक कवि के नाम से प्रसिद्ध संत या व्यक्ति वज क्या था जिसने ऐसा ज्ञान दिया जो आज के प्रत्येक धर्म के ज्ञानियो और लोगो को झकझोर कर रखने वाला है?
आइये जानते है कुछ ऐसे ही और अनेक कबीर जी के अनसुलझे रहस्य....
कबीर साहेब जी का कलयुग में प्रकट होना
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीरू नीमा को मिले कबीर परमात्मा
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। एक बार नीरू, नीमा जिनके कोई संतान नहीं थी स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी कि हे दीनानाथ! आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है। प्रभु! हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के व्यंग्य सुन-सुन कर आत्मा दुखी हो जाती है। मुझ पापिन से ऐसी कौन सी गलती किस जन्म में हुई है जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु! हमें भी एक बालक दे दो।
यह कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा! हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो प्रभु शिव अवश्य प्रदान कर देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की आंखें भर आईं। इसी तरह प्रभु की चर्चा व बालक प्राप्ति की याचना करते हुए लहरतारा तालाब पर पहुंच गए। प्रथम नीमा ने स्नान किया, उसके पश्चात नीरू ने स्नान करने को तालाब में प्रवेश किया। सुबह का अंधेरा शीघ्र ही उजाले में बदल जाता है। जिस समय नीमा ने स्नान किया था। उस समय तक तो अंधेरा था।
कबीर प्रकट दिवस 2022 कमल के फूल पर बालक
जब नीमा कपड़े बदल कर पुनः तालाब पर कपड़ो को धोने के लिए गई, जिसे पहन कर स्नान किया था, उस समय नीरू तालाब में प्रवेश करके गोते लगा-लगा कर मल-मल कर स्नान कर रहा था। नीमा की दृष्टि एक कमल के फूल पर पड़ी जिस पर कोई वस्तु हिल रही थी। प्रथम नीमा ने जाना कोई सर्प हैं। उसने सोचा कहीं यह सर्प मेरे पति को न डस ले लेकिन जब नीमा ने उसे ध्यानपूर्वक देखा तो वह सर्प नहीं कोई बालक था। जिसने एक पैर अपने मुख में ले रखा था तथा दूसरे को हिला रहा था।
कबीर प्रकट दिवस 2022: नीमा ने अपने पति से ऊंची आवाज में कहा देखो जी! एक छोटा बच्चा कमल के फूल पर लेटा है। वह जल में डूब न जाए। नीरू स्नान करते-करते उसकी ओर न देख कर बोला,” नीमा! बच्चों की चाह ने तुझे पागल बना दिया है। अब तुझे जल में भी बच्चे दिखाई देने लगे हैं।” नीमा ने अधिक तेज आवाज में कहा,” मैं सच कह रही हूं, देखो सचमुच एक बच्चा कमल के फूल पर, वह रहा, देखो।”
नीमा की आवाज में परिवर्तन व अधिक कसक जानकर नीरू ने देखा। कमल के फूल पर एक नवजात शिशु को देखकर नीरू ने झपट कर कमल के फूल सहित बच्चा उठाकर अपनी पत्नी को दे दिया। नीमा ने बालक को सीने से लगाया, मुख चूमा, पुत्रवत प्यार किया। जिस परमेश्वर की खोज में ऋषि-मुनियों ने जीवन भर शास्त्र विरूद्ध साधना की, उन्हें वह नहीं मिला। वहीं परमेश्वर नीमा की गोद में खेल रहा था। उस समय जो शीतलता व आनन्द का अनुभव नीमा को हो रहा होगा उसकी कल्पना नहीं की जा सकती हैं।
दोस्तों भले ही यह घटना आपको मनघडंत लगे लेकिन यह वहाँ के आम लोगों की मुख जुबानी बताई हुई सच्चाई हैं। क्योंकि SA NEWS की टीम ने काशी के लोगो तक चलकर यह सच्चाई एकत्रित की है। Jise aap Youtube par bhi ja kar dekh sakte hai.
आखिर क्यों कबीर जी सामर्थ्य और सच्चाई को आज तक दबाया गया..?
दोस्तो अब आपके मन एक प्रश्न जरूर उठ होगा कि अगर कबीर साहेब इतने ही प्रसिद्ध और समर्थ कवि संत हुए तो उनकी यह सच्चाई जनता तक क्यो नही पहुची? जबकि राम-कृष्ण जी की शक्ति और महिमा युगों से चली आ रही है।
दोस्तो इस सच्चाई के ऊपर न आने के दो कारण हैं
1) पहला तो यह है कि जिस समय (आज से लगभग 600 वर्ष पहले) कबीर साहेब जी आये थे तो समाज मे केवल एक ही जाती ब्राह्मण जाति के लोग ही शिक्षा ग्रहण करते थे क्योंकि सब सोचते थे कि शिक्षा का आधिकारिक वर्ण केवल ब्राह्मण ही है और परमात्मा ने ही इन्हें सर्व समाज को भक्ति तथा शास्त्रों का ज्ञान बताने के लिए भेज हैं।
इस बात का नाइजाज फ़ायदा उठाते हुए ब्राह्मणों ने किसी और समाज के द्वारा शिक्षा ग्रहण भी की जाती तो बड़ा विरोध देखने को मिलता।
यह बात कुछ संत ब्राह्मणों के लिए सही भी थी कि वे वेदों का ज्ञान जिस हद तक समझ पाते थे समाज मे कथाएं करते थे।
लेकिन धीरे-धीरे यह हर ब्राह्मण के लिए एक आजीविका का साधन बन गया था। ब्राह्मण आमतौर पर ब्रह्मा-विष्णु-महेश जी की ही भक्ति बताते थे। जिसका आज भी आसानी से वेदों और ग्रंथो से पता लगाया जा सकता है कि यह एक गलत साधना हैं। क्योंकि ब्रह्मा-विष्णु-महेश के भी माता-पिता आथार्थ इनसे बड़े भगवान भी हैं।
जैसा कि आपको बताया कि कबीर जी ने अशिक्षित होते हुए भी वेंदो ग्रंथो के वे गूढ़ रहस्य बताये जो ब्रह्मण लोग नही समझ पाए।
कबीर साहेब जी कहा करते थे कि
तीन देव की जो करते भक्ति, उनकी कदे न होव मुक्ति।
गुण तीनो की भक्ति में ये, भूल पड्यो संसार।
कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरो पार।।
इन वाणियो का ठीक वही अर्थ हैं जो वेंदो तथा ग्रंथ का सार है। कबीर साहेब जी कहा करते थे कि तीनों देवताओं(ब्रह्मा-विष्णु-महेश) की जो भक्ति करते है उनकी कभी भी मुक्ति नही हो सकती, मुक्ति के लिए निज नाम अथार्थ सच्चे मंत्र की आवश्यकता होती हैं।
लेकिन ऐसी बाते लोगो को भी पसंद नही आती थी कि एक निम्न स्तर का व्यक्ति हमारे धर्म के ग्रंथो को कैसे जान सकता हैं और घर्म गुरुओं ने तो बहुत बड़ा विरोध किया कि यह हमारे ग्रंथो का सार कैसे जान सकता है यह झूठ बोल रहा हैं। यह अशिक्षित है। जबकि ब्राह्मण लोगो ने कबीर साहेब जी के साथ ज्ञानचर्चा शास्त्रार्थ कर के सच्चाई तो जान ली थी लेकिन जनता के सामने उसे स्वीकार नही कर रहे थे। ब्रह्मण लोग सोच रहे थे कि अगर इसकी बाते मान ली तो सभी लोग इसे गुरु बना लेंगे और हमारी रोजी रोटी बन्द हो जाएगी हम कैसे अपना गुजारा करेंगे।
इस बात पर लोगो तथा खासकर ब्राह्मण गुरुओं ने कबीर साहेब जी का खुलकर विरोध किया और मुसलमान धर्म मे परवरिश होने के कारण मुसलमान समाज भी उसी दृष्टि से कबीर साहेब जी को देखते थे।
इस कारण कबीर साहेब जी के द्वारा की गई विचित्र लिलाओ और शक्ति को समाज मे आगे नही आने दिया।
2) दूसरा कारण यह हैं कि कबीर जी द्वारा दिया गया ज्ञान विश्व मे एक अलग ही ज्ञान था क्योंकी लोग ग्रंथो का सार नही जान पाए थे और यह एक अलग ही शास्त्रो से भी आगे का ज्ञान था। लोगो ने इस ज्ञान को स्वीकारने से भी मना कर दिया। जिस प्रकार आज संत रामपाल जी महाराज का समाज के लोग ज्ञान के आभाव में विरोध कर रहे हैं वही स्थिति उस समय कबीर साहेब जी के साथ हुई।
आज संत रामपाल जी महाराज दुनिया से हटकर एक अलग ही शास्त्र प्रमाणित भक्ति दे रहे हैं जिसको लोग मानना ही नही चाहते। जबकि संत रामपाल जी के द्वारा दिया गया प्रत्येक कथन सर्व धर्मो के शास्त्रो के आधार पर होता हैं लेकिन लोग इस सच्चाई को ग्रहण करने से कतरा रहे हैं कि कबीर साहेब ही भगवान हैं।
0 Comments