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न्याय करने वालो न्याय छोड़ दो .....

#न्याय_की_आस_करने_वाले_मृतक_के_परिजन_जज_का_फैसला_सुनकर_चौंके

जी हां #हिसार #हरियाणा के बहुचर्चित बरवाला कांड में
यही हुआ संत रामपाल जी महाराज को  जब जज महोदय ने उम्रकैद की सजा सुनाई जिसे जानकर,, जिसके नाम पर Fir काटी गई थी और जिसके नाम पर केस था वह मृतक के परिजन चौंक गए क्योंकि शिवपाल दास(मृतक महिला का पति) ने स्वयं एफिडेविट दिया था कि मेरी पत्नी की मौत की जिम्मेदार पुलिस है जिनकी बर्बरता पूर्वक कार्यवाही में  उनकी पत्नी और अन्य की मौत हुई थी।।
यानी के न्याय उनको मिलना चाहिए था उन्होंने तो यह तक कहा था कि उनकी पत्नी की मौत के जिम्मेदार संत रामपाल जी महाराज नही है।


तो फिर न्याय उन्हें मिला ही नही।

और कहा गया था कि बंधक बनाने के मामले को भी ध्यान में रखकर फैसला सुनाया गया जबकि बंधक बनाने के मामले में तो संत रामपाल जी महाराज 2017 में ही बरी हो चुके है तो केस तो बनता ही नही।

सरकारी वकील कहते है जी बंधक बनाया गया था लोगो को जिस कारण से उनकी दम घूँटने से मौत हो गयी थी ।
अब विचार करे जब बंधक बनाने का केस ही नही रहा तो फिर यह हत्या का केस ही नही बनता
इससे साफ जाहिर होता है कि सुनाया गया फैसला गलत है।

सरकार ने स्वयं को बचाने के लिए यह सब किया है यह साफ ज़ाहिर हो रहा है।

अगर यह संहि था तो क्यों एक बार भी मृतक के परिजनों से पूछा नही गया जज महोदय जी ने।
क्या किसी मीडिया ने मृतक के परिजनों से रिपोर्ट ली ?
क्या उनसे पूछा गया कि क्या आपको सच मे न्याय मिला है?

इसलिए यह न्याय नही हुआ यह अन्याय ही है।

लेकिन अब बुद्धिजीवी समाज है सब समंझ रहे है।

अब हाइकोर्ट में इन केसों को लाइव प्रसारण कराया जाना चाहिए ताकि जनता स्वयम देखे की संत रामपाल जी महाराज व उनके अन्यायियों को झूठी और बेबुनियाद सजा सुनाई गयी

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1 Comments

  1. जब रक्षक ही भक्षक बन जाए और न्याय देने वाले दोषी बनाने में लगे रहे तो ऐसे देश में लोकतंत्र का नामोनिशान मिट जाता है। और कुछ ऐसा ही हुआ है संत रामपाल जी महाराज जी के साथ क्योंकि ना कोई सबूत ना कोई गवाह फिर भी संत जी के खिलाफ फैसला सुनाया गया।
    आखिर किस आधार पर....?

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