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सतलोक का आंखों देखा वर्णन ओर जेल से बाहर आए सन्त रामपाल जी महाराज

पढ़िए एक भगत के अनुभव जिन्होंने देखा कि सन्त रामपाल जी महाराज जब जेल से बाहर आ गए 

हमने उनसे सवाल जवाब किये जो आपको दिखाते है

सवाल- नमस्कार जी
श्रद्धालु- सत साहेब
सवाल- क्या नाम है जी आपका
श्रद्धालु- उर्वशी साहू 
सवाल- कहां से आए हैं जी आप
श्रद्धालु- ग्राम चीचा ,तहसील पाटन, जिला दुर्ग, छत्तीसगढ़  से

सवाल- क्या आप संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयाई हैं
श्रद्धालु- हां, सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा मैंने 24 अक्टूबर 2016 को लिया

सवाल- संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने से पहले आप क्या भक्ति साधना करते थे
श्रद्धालु- सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की शरण में आने से पहले मैं कृष्ण जी को इष्ट के रूप में मानती थी| उनकी ही भक्ति करती थी| और शनिवार का व्रत भी करती थी मैंने 3 साल तक 93 शनिवार तक व्रत किया था| हमारे जीवन में इतना दुख आया कि परमात्मा की तलाश करते करते बहुत थक गए| और जैसा कि मैं बचपन से ही 7 साल की उम्र में घर वालों को बोलना शुरू कर गई थी कि पूर्ण परमात्मा इस पृथ्वी पर आने वाले हैं, और मुझे अपने मिशन की सहयोग करने के लिए भेजे हुए हैं| वह समाज में व्याप्त बुराइयों को जड़ समेत मिटायेंगे जैसे कि दहेज प्रथा, नशाखोरी, रिश्वत यह सब जो है उन सब को हटाएंगे और सतयुग जैसा समय स्थापित करने वाले हैं| और मुझे 2016 में मिलने वाले हैं यह भी बताया था


सवाल- क्या आपको समय की कोई जानकारी थी| आपको वह महापुरुष जिसके बारे में आप परिवार वालों को बताते रहे हैं वह आपको कब मिलेंगे क्या आपको कोई जानकारी थी|
श्रद्धालु- वह समय पता था और पूर्ण परमात्मा है ऐसा पता था| लेकिन हमारे हिंदू धर्म में व्याप्त जो गुरु हैं वह कृष्ण को ही भगवान समझते थे| तो मैं कृष्ण को ही पूर्ण परमात्मा समझकर उसकी भक्ति करने लगी| कृष्ण को हमेशा अपने साथ रखती थी| स्कूल जाती थी तो उसको अपने बस्ते में छिपाकर ले जाती थी और देखती थी| स्कूल के हमारे जो  मैडम सर है उनसे भी ज्ञान चर्चा करती थी कि पूर्ण परमात्मा ऐसा होता है, वह आने वाले हैं| ऐसा सभी से कहा करती थी| हमारी स्कूल की मेरी जो सहेली है वह मुझसे बोलते थे कि आप संत के जैसे बोलते हो बिल्कुल संत की भाषा में बोलते हो ऐसा कहती थी मुझे वह| और मैं कहती थी कि जो कबीर साहेब के दोहे हैं वह मुझे बहुत पसंद आते थे ज्ञान चर्चा भी कबीर के दोहे में किया करते थे हम स्कूल में| गायत्री मंत्र का भी जाप करती थी, रामायण का पाठ करती थी, गीता का बचपन से ही बहुत पूजा पाठ करती थी सभी देवी देवताओं की|


सवाल- आप संत रामपाल जी महाराज की शरण में कैसे आए
श्रद्धालु- वह क्या है संत रामपाल जी महाराज की शरण में सबसे पहले जब मेरा कॉलेज में एडमिशन नहीं हो रहा था तो मैं बहुत दुखी थी| उसके बाद कॉलेज से आई और सर ने मेरे से कम परसेंट वाले को फॉर्म दे दिया था लेकिन मुझे नहीं दे रहे थे| तभी मैंने सोचा कि पूर्ण परमात्मा हो ही नहीं सकते कृष्ण | अगर पूर्ण परमात्मा होते तो मेरे साथ यह नहीं होता हमारे जीवन में बहुत दुखा आए, बहुत रोए हम| और जैसा कि मैं कोई मार्ग में चलती थी तो, दूसरा कोई और चले हैं उसी मार्ग में कुछ नहीं रहता और अगर मैं चली जाती थी उस मार्ग में तो बहुत काटे इकट्ठे हो जाया करते थे| तो मैं जस्ट आई कॉलेज से उसके बाद दोपहर को सो गई | थोड़ी देर नींद आई| उसके बाद संत रामपाल जी महाराज मेरे सपने में आए और वह साधारण वेशभूषा में थे| और  तो सब पाखंड के भेष में जैसे जटा, लंबे नाखून, डाड़ी लंबी वह सब रखते हैं लेकिन संत रामपाल जी महाराज ऐसे नहीं थे| तो मैं बोली मम्मी एक संत आए थे लेकिन वह बोल रहे थे मुझे कि आपका एडमिशन हो जाएगा बेटा, चिंता मत करना| लेकिन मैं जानती भी नहीं थी वह कि वह संत है लेकिन आत्मा जो है वो परमात्मा को पहचान लेती है| लेकिन आत्मा ने पहचान लिया कि वह संत है| उसके बाद मेरी मौसी थी एक, उसने बताया कि मेरे गुरुजी है संत रामपाल जी महाराज जी है, आप भी उनसे नाम दीक्षा ले लो| तो मैं बोली की वह आपके गुरु नहीं है वह तो मेरे भी गुरु है, उनको तो मैं भी जानती हूं| उनसे मैं भी नाम दीक्षा लूंगी| ऐसा करके बोली


सवाल-  तब तक तो आपको नाम पता ही नहीं था जब आप की मौसी जी ने बताया कि मेरे गुरु जी संत रामपाल जी महाराज है| लेकिन तब तक तो आप जानते ही नहीं थे कि यह संत रामपाल जी महाराज जी है| तो आपने अपने मौसी जी से यह कैसे कहा कि यह मेरे भी गुरु हैं|
श्रद्धालु- वह क्या है ना आत्मा परमात्मा को भी पहचान सकती है| इसी प्रकार मेरी आत्मा ने भी गवाही दिया तभी मैंने कहा कि यह मेरे गुरुदेव हैं| उसके बाद मैंने संत रामपाल जी के नाम  दीक्षा लिया


सवाल- देखिए जो भी श्रद्धालु संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेते हैं तो उनको आध्यात्मिक लाभ, भौतिक लाभ, शारीरिक लाभ होते हैं| आपसे जानना चाहेंगे कि संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद आपके जीवन में क्या बदलाव आया आपको क्या लाभ हुआ|
श्रद्धालु- सबसे पहले मुझे लाभ तो आध्यात्मिक हुआ| मैंने परमात्मा से कहा था कि गुरु जी मुझे इस लोक में रहना नहीं है मुझे तो सतलोक जाना है मुझे नहीं रहना परमात्मा| तो गुरु जी एक दिन आए संत रामपाल जी महाराज जी और बोले बेटा आपको मैं आज रात को सतलोक ले जाऊंगा ऐसा करके कुछ| उसके बाद संत रामपाल जी महाराज जी आए मेरा हाथ पकड़कर बोले कि चलो जाएंगे सतलोक| ऐसा करना अपनी मम्मी को बता देना बेटा, ऐसा बोले| तो मम्मी को मैंने बताई की मम्मी मैं सतलोक जाने वाली हूं आप डरना मत मेरे को कुछ नहीं होगा| सतगुरु रामपाल जी महाराज जी मेरे साथ है|


सवाल- क्या उस टाइम आपके माता-पिता ने, आपके घर वालों ने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ले रखी थी|
श्रद्धालु- जी हां संत रामपाल जी महाराज जी से मेरे परिवार वालों ने मेरे मम्मी ने भी नाम दान लिया था|


सवाल- उसके बाद क्या होता है
श्रद्धालु- उसके बाद गुरु जी आए और मेरा हाथ पकड़ कर ले गए| उसके बाद हम सीधा पहुंचे काल निरंजन के लोक वहां पर गए | वहां पर मैंने कहा कि गुरु जी मुझे काल से बहुत डर लगता है मैं नहीं देखूंगी उसको और ऐसा करके आंख बंद कर ली| और सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने कहा कि बेटा आप चिंता मत करो मैं आपके साथ हूं| उसके बाद हम त्रिकुटी पर आए ,त्रिकुटी पर परीक्षा हुई | वहां पर तो सतगुरु रामपाल जी महाराज वहां छुप गए| उसके बाद बहुत सारे देवी देवता हैं अपने लोकों का प्रलोभन लेकर मेरे पास आए, बाजार जैसा था वहां पर| बहुत सारे प्रलोभन दे रहे थे मुझे कि आपको यह पद दूंगा यह पद दूंगा ऐसा करके| लेकिन मैंने कहा कि मुझे कुछ भी नहीं चाहिए बहुत रोई मैं | और कहा कि मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे तो पूर्ण परमात्मा चाहिए, मेरे सतगुरु रामपाल जी महाराज जी चाहिए| उसके बाद सतगुरु रामपाल जी महाराज जी को मैंने बहुत ढूंढा| उसके बाद एक कोने में सतगुरु रामपाल जी महाराज जी मुझे दिखे उसके बाद दौड़ते दौड़ते गई और परमात्मा को रोते-रोते गले से लगा लिया| और कहा कि गुरु जी आप मुझे दुनिया की कुछ चीज नहीं चाहिए मैं आपको चाहती हूं और कुछ नहीं चाहती है| मुझे उसके बाद संत रामपाल जी महाराज जी ने मुझे उठा कर कहा  कि बेटा ऐसा ही तो चाहता हूं कि हर हंस में ऐसा ही गुण हो सतलोक जाते समय| परमात्मा ने मेरे में पूरा शील, संतोष, विवेक, क्षमा  सतलोक जाने का जो गुण होता है ना व्यक्ति में वही पूरा स्थापित कर दिए थे| उसके बाद सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने कहा कि बेटा कोई बात नहीं मैं ही कबीर परमात्मा सतगुरु रामपाल जी के रूप में आया हुआ हूं बेटा | लेकिन संसार के लोग मुझे नहीं समझ रहे हैं कोई बात नहीं| इंसान में इतना अहंकार घर कर गया है कि  मेरे को कोई समझना ही नहीं चाहता है| मैं ही पूर्ण परमात्मा सतगुरु रामपाल जी महाराज जी के रूप में आया हुआ हूं ,उसने असंख्य ब्रह्मांड की रचना की है |और मेरे बिना इंसान एक तिनका भी नहीं उठा सकते लेकिन इतना अहंकार है कि इंसान मुझे समझना ही नहीं चाहता है | लेकिन कोई बात नहीं बेटा बहुत जल्द सतलोक जैसा समय स्थापित होकर ही रहेगा| मैं चाहूं तो पल भर में मंत्री सभी की बुद्धि को बदल सकता हूं | लेकिन मेरा कुछ मिशन है बेटा और लीला करने वाला हूं| उसके बाद मैं बहुत जल्द  सतयुग जैसा समय स्थापित करूंगा| उसके बाद गुरुजी मेरे को सतयुग जैसा समय है उसमें ले गए| तो मैं बोली कि गुरुजी ऐसा  होगा देखो बेटा ऐसा ऐसा करके पूरे भविष्य में ले गए तो मैं गुरु जी से बोली कि गुरु जी हम लोग जाएंगे वहीं पर चलो ना  रहेंगे वहीं पर| तो सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने कहा कि बेटा हां बहुत जल्द रहने वाले हैं आप चिंता ना करो|

सवाल-  जी उसके बाद आप कहां जाते हैं
श्रद्धलु- पहले गुरु जी मुझे ब्रह्मा विष्णु महेश के लोक मैं लेकर गए| उसके बाद काल निरंजन जहां गुप्त रूप में रहता है महाशिव रूप में वहां लेकर गए|   वहां देखा तो बहुत बड़ा शिवलिंग था वहां पर| वहां प्रवेश करते ही इतना बेकार धुन था वहां पर बहुत खराब था मेरा सर दर्द होने लगा था| फिर मैंने गुरु जी से कहा कि गुरु जी यह क्या है ऐसा करके फिर सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने कहा कि बेटा यह तो शिव का लोक है जहां गुप्त रूप में रहते हैं काल निरंजन| तो मैंने कहा सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से की गुरुजी मुझे इस लोक में नहीं रहना  इस लोक से बाहर चले जाएंगे| तो सतगुरु रामपाल जी महाराज जी मुझे उस लोक से बाहर लेकर आए तो जब भी उस लोक की याद आती है ना तो दूर आते ही बहुत सिर दर्द होने लगता है बहुत ही बेकार है उस लोक का धुन| उसके बाद हम नरक लोक में गए| नरक लोक में काल निरंजन तप्तशिला में सभी जीवो को  भून रहे थे, गर्म तेल डाल रहे थे| बहुत गर्म खंभे पर बांधकर सभी जीवो को उसका जो बुरे कर्म का फल दे रहे थे| और सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने कहा की देखो बेटा यह लोग मेरी भक्ति नहीं किए इसलिए तो इनका ऐसा हाल है| लेकिन यह अगर मुझे अभी भी  पुकारेंगे तो मैं तुरंत दौड़ा चला आऊंगा| परमात्मा ऊपर थे, मैं देखी तो उसके बाद मैंने कहा कि सतगुरु रामपाल जी महाराज जी यह लोग तो बहुत अपना मनुष्य जन्म ही बर्बाद कर गए परमात्मा, आपको नहीं पहचान कर| तो परमात्मा बोले कि कोई बात नहीं बेटा धीरे-धीरे सभी समझ जाएंगे मेरे को |


सवाल- उसके बाद कहां जाते हैं आप
श्रद्धालु- उसके बाद  हमने अंदर प्रवेश किया


सवाल- अंदर कहां
श्रद्धालु- सतलोक के अंदर प्रवेश किया| उसके बाद सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने गरीब दास जी, स्वामी राम देवानंद जी महाराज और दादू दास जी जितने भी गए थे सतलोक, सभी संतो से मिलाया| वहां पर इतनी शांति थी इतना अच्छा वातावरण था यहां तो कुछ भी नहीं है| बिल्कुल भी यहां कुछ भी नहीं है वैसे वहां बहुत ही अच्छा वातावरण था|


सवाल- और क्या देखते हैं आप सतलोक में| अक्सर संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों से बात होती है हमारी जो सतलोक में जाकर के सतलोक का वर्णन करते हैं, आपने सतलोक में क्या-क्या देखा|
श्रद्धालु- मैं वहां पर बहुत सारी जीव आत्माएं है सतलोक में, उन लोगों से मिली| सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने कहा कि बेटा आपको कुछ खाना है, मैं बोली कि नहीं गुरु जी मुझे कुछ भी नहीं चाहिए बस आप मेरे साथ रहना हमेशा ऐसा बोली| उसके बाद मे वहां के सेब संतरा पेड़ इतने लथपथ थे इतने लथपथ, जमीन को टच करने वाले हि थे तो मैं देख कर बोली कि यहां का फल तो खराब हो जाएगा यह तो जमीन से टच हुआ है| तो वहां के हंस लोग जो थे वह बोले कि नहीं ऐसा नहीं होता सतलोक मैं कोई भी चीज खराब नहीं होती है|


सवाल- उसके बाद आप क्या देखते हैं और क्या वर्णन करना चाहेंगे आप
श्रद्धालु- वहां पर हमने दूधों की नदिया देखी, बहुत अच्छे गार्डन थे| यहां ऐसा बिल्कुल है ही नहीं|

सवाल- अच्छा देखिए, हम इस संसार में देखते हैं कि बहुत सारे जीव जंतु है, जो तड़प रहे हैं| बहुत सारी ऐसी चीजें देखते हैं आपसी लड़ाई देखते हैं, आपसी राग द्वेष देखते हैं, किसी की बड़ी बिल्डिंग देखते हैं, किसी की छोटी बिल्डिंग देखते हैं| इस प्रकार की बातें भी क्या आपको सतलोक में देखने को मिली
श्रद्धालु- नहीं ऐसा नहीं, वहां सभी समान दृष्टिकोण से हैं


सवाल- देखिए आपने अपनी माता जी को बताया कि संत रामपाल जी महाराज मुझे सतलोक लेकर जाएंगे, आप चिंता मत करना | कितने दिन तक आप इन  लोको की सैर करते रहते हैं, और कब आप अपने शरीर में आते हैं| इसके दौरान भी आपने कुछ देखा हो तो आप हमें बताइए
श्रद्धालु-  उसके बाद जब  मैं सतलोक चली गई थी तो  मेरे घर के लोग बोलते थे मेरी मम्मी को कि यह क्या हो गया, यह कुछ भी नहीं कर रही है, बोल भी नहीं रही है| हम लोगों से बात भी नहीं कर रही है, क्या हो गया है इसको | इसको भूत प्रेत पकड़ लिए हैं क्या | ऐसा करके बोल रहे थे जो जगत थे ना आदि लोग वह लोग बोलते थे| तो मेरी मम्मी बोली कि नहीं सतगुरु रामपाल जी महाराज जी इसको सतलोक लेकर गए हैं आप लोग चिंता मत करो|


सवाल-  कितने दिन तक आपका शरीर पड़ा रहा था ऐसे
श्रद्धालु- 3 दिनों के लिए ले गए थे मुझे सतलोक


सवाल- क्या 3 दिन तक आपका शरीर अचेत पड़ा रहा, आपके घर पर
श्रद्धालु- मेरा शरीर अचेत पड़ा था और सतगुरु रामपाल जी महाराज  जी मेरी आत्मा को सतलोक लेकर गए थे


सवाल- उसके बाद जब आप अपने शरीर में वापस आते हैं तो उसके बाद किस नजर से लोग आपको देखते हैं, और क्या रिएक्ट आपका होता है, आपके परिवार वाले आपसे क्या बात करते हैं |
श्रद्धालु- उसके बाद मेरे परिवार वाले बात करते हैं कि क्या हो गया था तुझे ऐसा करके बोलते थे| जो पहले घर में जो भी घटना हुई थी वह सब बोलते हैं| तो मैं बोलती थी कि मुझे नहीं पता यह सब क्या बोल रहे हो, मुझे नहीं रहना इस लोक में| मुझे जाना है मेरे लोक में जहां से मैं आई हूं| मुझे रहना ही नहीं इसमें ऐसा करके बहुत रोती थी| मेरी मम्मी बोलती थी कि क्या हो गया है, अरे सतलोक तु गई थी ना इसलिए यह सब हो रहा है| वहां पूर्ण परमात्मा सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ले गए थे यहां कुछ भी नहीं है, यह काल का बहुत बड़ा खेल है|


सवाल- कितनी अचरज वाली बात है, बहन जी की लोग नहीं विश्वास कर पाते इस बात पर कि मरने के बाद कुछ ऐसी चीजें हैं जो आप बता रहे हैं| लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयाई एक ही बात बोलते हैं जो आपने बताई थी| इसी तरह का नजारा वह भी सतलोक में देखकर के आए हैं और वह आ करके हमारे साथ शेयर करते हैं| तो आप उन लोगों को क्या कहना चाहेंगे इस बारे में जो लोग यह मानते हैं कि सतलोक चीज ही नहीं है, या स्वर्ग नरक जैसी कोई चीज ही नहीं है| मरने के बाद किसने देखा है, आप उन लोगों को क्या कहना चाहेंगे|
श्रद्धालु-  हमने देखा है सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने हम को दिखाया है की स्वर्ग नरक भी है, और उससे ऊपर सतलोक है पूर्ण परमात्मा का| जहां जाने के बाद इंसान वापस नहीं आता इस संसार में


सवाल- लेकिन आज जिस तरह का घटनाक्रम है कि संत रामपाल जी महाराज जी जेल में है, लोग कैसे समझ पाएंगे कि संत रामपाल जी महाराज पूर्ण परमात्मा है| जिस तरह से आप बता रहे हैं और आपको सतलोक लेकर गए हैं और आपको सब कुछ दिखाया है| आप खुद एक गवाह है तो आप कैसे लोगों को समझा पाएंगे कि संत रामपाल जी महाराज जी को मानना इतना ज्यादा जरूरी है लोगों के लिए
श्रद्धालु- एक बार हमारे घर में हमारे मामा जी थे पहले नाम दीक्षा नहीं लिए थे| मैं उसी के घर में रहती हूं तो वह बोले कि आप हमेशा सद्गुरु रामपाल जी महाराज, गुरु रामपाल जी महाराज बोलते रहते हो, थकते नहीं हो इसके नाम लेते हुए| तुम्हारे सतगुरु रामपाल जी महाराज जी जेल से बाहर आकर दिखाएं तभी मैं मान लूंगा उसको पूर्ण परमात्मा| तो मैं बोली कि आप ऐसे उनको चैलेंज नहीं कर सकते, सतगुरु रामपाल जी महाराज जी पूर्ण परमात्मा है असंख्य ब्रह्मांड के मालिक हैं| वह कुछ भी कर सकते हैं ऐसे चैलेंज मत किया करो उनको| तो वह बोले कि नहीं, आकर दिखाए तभी मैं मानूंगा| उसके बाद उसी दिन, रात को 11:00 बजे सतगुरु रामपाल जी महाराज जी हमारे घर में आए| उनके साथ चार भगत जी भी थे उसके बाद सतगुरु रामपाल जी महाराज जी 10 मिनट तक दरवाजे के बहुत पास ही खड़े रहे | मेरे मामा जी ने देखा, गर्मी  के दिन थे तो बिस्तर पर वहीं पर आंगन में सोए हुए थे| सतगुरु रामपाल जी महाराज जी को देखा उसके बाद बुलाया हाथ जोड़कर के, आओ महाराज जी आओ बैठो, ऐसे करके बोले | उसके बाद हम लोगों को बुलाने चले गए कि आपके गुरु जी आए हैं चलो चलो


सवाल- बहन जी आप से पूछना चाहेंगे कि जिस तरह की  बात आप बता  रही हैं यह सपने की बात है या हकीकत की बात है
श्रद्धालु- नहीं यह सपने की बात नहीं है, यह वास्तविकता है | सतगुरु रामपाल जी महाराज जी हमारे घर पर आए हुए थे


सवाल- यह सब हकीकत में घट रहा था, आपके मामा जी के साथ
श्रद्धालु- हां यह हकीकत है रात को 11:00 बजे की बात है


सवाल- जो आपके मामा जी मानने को तैयार नहीं थे जो आपके मामा जी कह रहे थे कि संत रामपाल जी महाराज जी जेल में है| संत रामपाल जी महाराज जी उनको दिखाई दे रहे थे
श्रद्धालु- हां उन्हीं को दिखाई दे रहे थे | क्योंकि सतगुरु रामपाल जी महाराज जी यह प्रूफ किए उनको कि मैं ही पूर्ण परमात्मा हूं, मैं जेल से भी बाहर आ सकता हूं, ऐसा नहीं है|

सवाल- उसके बाद, आपके मामा जी थे जो यह बोल रहे थे कि आपके गुरु जी जेल से बाहर नहीं आ सकते, तो उसके बाद उनकी क्या प्रतिक्रिया रहती है इस बात को लेकर के
श्रद्धालु- वह क्या है ना, वह बोलते थे कि मैं कभी जुडूंगा ही नहीं, मैं सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लूंगा ही नहीं, कुछ भी हो जाए | मर जाऊंगा पर नाम दीक्षा नहीं लूंगा | लेकिन ऐसा दिन आया कि सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से उन्होंने नाम दीक्षा लिया और उनकी बीमारी भी ठीक हो गई


सवाल- इसके अलावा आप कोई अपना अनुभव शेयर करना चाहेंग
श्रद्धालु- सर मैं एक और अनुभव बताना चाहती हूं कि मैंने सतगुरु रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लिया था| तब एक दिन मैं तालाब में ऐसे ही पैर धोने के लिए नीचे उतर रही थी| तभी सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने कहा कि बेटा आप पैर को नीचे मत रखना वहां पर बहुत नुकीला चीज है, आपके पैर में चुभ जाएगा| उसके बाद सीधा मैंने निकाल कर देखा जस्ट पैर रखने वाली  जगह पर तो वहां पर किसी ने शराब  की शीशी को पीकर कर फोड़ दिया था| वह बहुत नुकीला था अगर चुभ जाता तो मेरा बहुत पैर कट जाता| एक बार ऐसा हुआ तब मैं सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की शरण में आ गई थी|  मेरा एडमिशन नहीं हो रहा था कॉलेज में| मैं जब 12th क्लास में थी ना जब  मेरे साथ बहुत अन्याय हुआ, जब बहुत दुख आऐ हमारे जीवन में| फर्स्ट ईयर का ऐडमिशन था|  एडमिशन से पहले मेरी ट्वेल्थ की मार्कशीट और टीसी थी उसको मैंने फाड़ दिया था| फाड़ दिया तो उसके बाद मैंने सोचा कि अब मुझे रेगुलर करना है तो क्या करूं| ऐसे करके तब सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने कहां की बेटा आप क्यों चिंता क्यों कर रहे हो, मैं हूं ना आपके साथ हो जाएगा आपका एडमिशन| उसके बाद मैं वह सब डाली नहीं थी मार्कशीट और टीसी नहीं था मेरे पास| तो मैं नहीं डाली थी और दूसरे डॉक्यूमेंट डाली थी| तो मैडम के पास गई थी सीधा एडमिशन के लिए तो उन्होंने मेरा फॉर्म देखा बहुत ही चेक किया गहराई तक, तो यह हुआ कि सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की दया से उन्हें पता ही नहीं चला कि मेरे में टी सी और मार्कशीट तो है ही नहीं | उसके बाद मेरे बाद दूसरी मेरी सहेली थी वह गई तो, उसका उसने टी सी नहीं डाली थी तो उसके लिए उसको रिजेक्ट कर दिया था | तो सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की शरण में आने के बाद मुझे बहुत सारे लाभ प्राप्त हुए | एक क्या कहूं बहुत सारे, हमेशा प्रतिदिन सतगुरु रामपाल जी महाराज जी कुछ ना कुछ लाभ करते ही रहते हैं| देखिए सर एक बार मैं सतनाम का जाप कर रही थी छत पर मैंने सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से कहा कि गुरु जी हम लोग जो जाप कर रहे हैं, वह कैसे जाता होगा किसके लोक में| तो सतगुरु रामपाल जी महाराज जी आये बोले कि बेटा देखो ऐसा एक ब्रह्मांड सा बिंदु सा आया चांदी सा| इसके बाद पूरा फैल गया आसमान में| वायु निराकार है, हम देख नहीं सकते हैं| हम महसूस कर सकते हैं बस उसको| लेकिन वही पूरी पृथ्वी को दिखाया उसके बाद पूरे ब्रह्मांड को खोल दिया तो दिखाया कि देखो यह सब का लोक है, ऐसे जाता है जिसका ब्रह्मांड है उसी के लोक में जो जाप करते हैं|


सवाल- बहन जी भगत समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं
श्रद्धालु-संदेश तो मैं कुछ दे नहीं सकती बस प्रार्थना यही है कि सभी भगत समाज से, सतगुरु रामपाल जी महाराज जी के रूप में कबीर परमात्मा आए हुए हैं| सतगुरु रामपाल जी महाराज ही विश्व में शास्त्र अनुकूल साधना बता रहे हैं, जिससे हमारा कंप्लीट मोक्ष होगा| तथा सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर अपना जन्म मरण का रोग कटवाए| मैंने बहुत सारी चीजें देखी है जो मरने के बाद भक्तों के साथ और जगत, सभी के साथ होने वाला है| अतः आप सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेंगे तभी आपका यह जन्म मरण का दीर्घ रोग है वह कटेगा| मेरे जगत के सभी भाई बहनों से निवेदन है कि सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर अपना जीवन सफल करें


सवाल- जी धन्यवाद
श्रद्धालु-सत साहेब

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