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बाबा जयगुरुदेव की भविष्यवाणी & Predictions of Florence

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■ चीन में समस्त वैज्ञानिक प्रगति चूर्ण करके चीन को नष्ट कर दिया जाएगा। चीन में बचे खुचे लोगों की सहायता भारत करेगा। इसी बीच तिब्बत भारत में मिल जाएगा। यदि सभी राष्ट्र आपस में मिलकर भारतवर्ष पर आक्रमण करें तो भी इसे कोई जीत नहीं सकता है।



अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस की भविष्यवाणियां
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■ अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस ने अपनी भविष्यवाणियों में कई बार भारत का जिक्र किया है। ‘द फाल ऑफ सेंसेशनल कल्चर’ नामक अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि सन् 2000 आते-आते प्राकृतिक संतुलन भयावह रूप से बिगड़ेगा। लोगों में आक्रोश की प्रबल भावना होगी। दुराचार पराकाष्ठा पर होगा। पश्चिमी देशों के विलासितापूर्ण जीवन जीने वाले वालों में निराशा, बेचैनी और अशांति होगी। अतृप्त अभिलाषाएं और जोर पकड़ेंगी जिससे उनमें आपसी कटुता बढ़ेगी। चारों ओर हिंसा और बर्बरता का वातावरण होगा। ऐसा वातावरण होगा कि चारों ओर हाहाकार मच जाएगा।


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■ लेकिन भारत से उठने वाली एक नई विचारधारा इस घातक वातावरण को समाप्त कर देगी। वह विचारधारा वैज्ञानिक दृष्टि से सामंजस्य और भाईचारे का महत्व समझाएगी। वह यह भी समझाएगी कि धर्म और विज्ञान में आपस में कोई विरोध नहीं है। आध्यात्मिकता की उच्चता और भौतिकता का खोखलापन सबके सामने उजागर करेगी। मध्यमवर्ग उस विचारधारा से बहुत अधिक प्रभावित होगा। यह वर्ग समाज के सभी वर्गों को अच्छे समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करेगा। यह विचारधारा पूरे विश्व में चमत्कारी परिवर्तन लाएगी।



■ मुझे यह एहसास हो रहा है कि उस विचारधारा को जन्म देने वाला वह महान संत भारत में जन्म ले चुका है। उस संत के ओजस्वी व्यक्तित्व का प्रभाव सब को चमत्कृत करेगा। उसकी विचारधारा अध्यात्म के कम होते जा रहे प्रभाव को फिर से नई स्फूर्ति देगी। चारों ओर अध्यात्मिक वातावरण होगा। फ्लोरेंस के अनुसार वह संत भारत में जन्म ले चुके हैं। वह इस संत से काफी प्रभावित थी। अपनी एक दूसरी पुस्तक ‘गोल्डन लाइट ऑफ न्यू एरा‘ में भी उन्होंने लिखा है:


■ “जब मैं ध्यान लगाती हूँ तो अक्सर एक संत को देखती हूँ जो गौर वर्ण का है, उसके सफेद बाल हैं, उसके मुख पर न दाढ़ी है, न मूंछ है। उस संत के ललाट पर गजब का तेज होता है। उनके ललाट पर आकाश से एक नक्षत्र के प्रकाश की किरणें निरंतर बरसती रहती हैं। मैं देखती हूं कि वह संत अपनी कल्याणकारी विचारधारा तथा अपने सत चरित्र प्रबल अनुयायियों की शक्ति से संपूर्ण विश्व में नए ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं”।

■ वह संत अपनी शक्ति निरंतर बढ़ा रहे हैं। उनमें इतनी शक्ति है कि वह प्राकृतिक परिवर्तन भी कर सकते हैं। भविष्यवक्ता फ्लोरेंस बताती हैं कि मैं भविष्य के विषय में एक बहुत महत्वपूर्ण बात बता रही हूँ। 20 वीं शताब्दी के अंत में भारतवर्ष से प्रकाश निकलेगा। यह प्रकाश पूरी दुनिया को उन दैवीय शक्तियों के विषय में जानकारी देगा जो अब तक हम सभी के लिए रहस्यमय बनी हुई हैं।


■ एक दिव्य महापुरुष द्वारा यह प्रकाश पूरे विश्व में फैलेगा। वह सभी को सत मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगा। समस्त दुनिया में एक नई सोच की ज्योति फैलेगी। जब मैं ध्यानावस्था में होती हूँ तो अक्सर यह दिव्य महापुरुष मुझे दिखाई देते हैं। फ्लोरेंस ने बार-बार इस संत या दिव्य महापुरुष का जिक्र किया है। साथ ही यह भी बताया है कि उत्तरी भारत वर्ष में एक पवित्र स्थान पर वह मौजूद हैं। उसका आध्यात्मिक ज्ञान सर्व को अचंभित करने वाला है।


महापुरुष के विषय में जय गुरुदेव पंथ के श्री तुलसी दास साहेब की भविष्यवाणी

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■ जय गुरुदेव उर्फ राधास्वामी पंथ मथुरा के परम सन्त की भविष्यवाणी कृपया पढ़ें पुस्तक “जयगुरु देव की अमर वाणी भाग-2 “ के पृष्ठ 50 तथा 59) धर्माचार्यों, राजनीतिज्ञों को नेक सलाह धर्म तब आएगा जब सब धर्म के लोग लड़ना छोड़ दें।



■ राष्ट्र की उन्नति तभी होगी जब राजनीतिक लोग लड़ना, आंदोलन, हड़ताल, तोड़फोड़, रिश्वत अथवा स्वार्थ एवं दल बदल छोड़ दें।

■ मांस, मछली, शराब, ताड़ी भी छोड़ दें। इसके पहले देश की खुशहाली की जो बात करता है, वह भविष्य के आने वाले संकट से बदहोश है।

■ वह यह नहीं जानता है कि देश की प्रजा दुराचारी, चरित्रहीन, लड़ने भिड़ने व कामचोर हड़ताली, आंदोलन, तोड़फोड़ करने वाली हो गई है।

■ मांस मछली अंडों का भक्षण करने लगी। शराब, ताड़ी व अन्य नशीली वस्तुओं के सेवन से प्रजा बदहोश में आकर पागल बनकर कुत्तों की भांति लड़ने लगी। वह देश की जनता अपनी गरीबी को कदापि नहीं मिटा सकती है।

■ शाकाहारी पत्रिका: 28 जुलाई 1971 


औतारी (अवतारी) शक्तियों का जन्म हो गया है भारतवर्ष में अवतारी शक्तियों ने जन्म ले लिया है। अनेक स्थानों पर बच्चों के रूप में पल रहे हैं और समय आने पर प्रगट हो जाएंगी। माता-पिता अपना सुधार कर लें वरना यही बच्चे विनाश का कारण बन जाएंगे। इन बच्चों को गोश्त व अंडा दिया जाता है तो वे मुंह फेर लेते हैं और उधर देखते तक नहीं। मां-बाप इस बात का ध्यान रखें कि जो बच्चे इन चीजों को खाना नहीं चाहते, उन्हें जबरदस्ती ना खिलाए। वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं 20 वर्ष का हो चुका है यदि उसका पता बता दूं तो लोग पीछे पड़ जाएंगे। अभी ऊपर से आदेश बताने के लिए नहीं हो रहा है। मैं समय का इंतजार कर रहा हूँ और सभी महात्माओं ने समय का इन्तजार किया है। समय आते ही सबको सब कुछ मालूम हो जाएगा।



India vs China war  [शाकाहारी पत्रिका 7 सितंबर 1971]

■ परिवर्तन का कारण भारतवर्ष बनेगा भारतवर्ष को विश्व में परिवर्तन का कारण अब बनना होगा। त्रेता में विश्व युद्ध का कारण भारतवर्ष था और द्वापर में भी विश्वयुद्ध का कारण भारतवर्ष था और इस समय में भी भारतवर्ष को ही कारण बनाना होगा। मुस्लिम राष्ट्रों में भारी कलह होगी। सभी मुसलमान आपस में लड़कर समाप्त हो जाएंगे। अधिकांश छोटे-छोटे देश टूटकर बड़े राष्ट्रों में मिल जाएंगे। भारतवर्ष इन सबका अगुआ होगा।



यह भी पढ़ें: कौन है वह महापुरुष जो कलयुग में लाएगा सतयुग?

■ भारत में नए सिरे से संगठन होगा। यदि विश्व के सभी राष्ट्र जी जान से यह प्रयास करें कि सुरक्षा परिषद अमेरिका से हटकर भारतवर्ष में ना जाने पाये तो यह कदापि नहीं होगा। सुरक्षा परिषद भविष्य में भारत में चली आएगी। महापुरुष का जन्म भारतवर्ष के छोटे से गांव में हो चुका है और वह व्यक्ति मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बनेगा। उसे जनता का इतना बड़ा समर्थन प्राप्त होगा कि आज तक किसी को नहीं मिला है। वह महापुरुष नए सिरे से विधान को बनाएगा और वह विश्व के संपूर्ण देशों पर लागू होगा। उसका एक झंडा होगा। उसकी एक भाषा होगी।


■ शाकाहारी पत्रिका: 28 अगस्त 1971

आइये अब जानते हैं कि उस महापुरुष के बारे में जिसके विषय में विश्वप्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं ने भविष्यवाणियां की हैं जितनी भी भविष्यवाणियां हुई हैं।



■ आप को बता दें की सन्त रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर, 1951 को गांव-धनाना, जिला-सोनीपत, प्रांत-हरियाणा (भारत) में एक जाट किसान परिवार में हुआ। “जय गुरुदेव की अमर वाणी” भाग-2 संत तुलसी साहेब ने 7 सितंबर 1971 को सत्संग में कहा था कि “वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं, 20 वर्ष का हो चुका है। संत रामपाल जी महाराज 7 सितंबर 1971 को पूरे 20 वर्ष के हुए थे, 8 सितंबर 1971 उनका इक्कीसवां वर्ष प्रारंभ हुआ था। वह महापुरुष छोटे से गांव में जन्म ले चुका है। उपरोक्त विवरण से स्पष्ट हो गया है कि वह महापुरुष संत रामपाल जी महाराज ही हैं।


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